क्षमा दान कर्ता महान -16-Nov-2022

*प्रतियोगिता *

दिनांक १६/११/२०२२
विषय:- क्षमा दान
विधा:- कुण्डलिया
शीर्षक:- क्षमा दान कर्ता  महान

क्षमा दान
(१)
उसको क्षमा ही दीजिए,
     जो हैं उसके पात्र।
जाति धर्म व देश को,
    नहीं देखिए मात्र।
नहीं देखिए मात्र,
  गात्र और गोत्र न देखो।
सभी बराबर जान,
    वधु व गुरु न देखो।
कहे विनोदी यार,
  देह का भान न जिसको।
निर्बल दुर्बल जान,
  क्षमा ही कीजिए उसको।
(२)
मेरी भूलें भूलकर,
     कीजै क्षमा प्रदान।
आप बड़े हम हैं लधू,
    प्रभु वर परम प्रधान।
प्रभुवर परम प्रधान ,
     ज्ञान व ध्यान नहीं है।
जहां गुरु के पार,
      मुक्ति का द्वार वहीं है।
विनोदी कहे विचार,
    न कीजै कोई देरी।
करो कृपा की कोर,
   भूलकर भूलें मेरी। 

कायर कपटी क्रूर क्रूरता हृदय में धारे।
करता सदा कुकर्म भला ना कभी विचारे।
देश धर्म व जाति हेतु भू भार वही है।क्षमादान न करो यही,सतग्रंथ कही है।
बारे बूढ़े विकलांग,विपद में घिरे हैं भारी।
महामूढ़ मतिमंद, क्षमा के हैं अधिकारी।

विनोदी महाराजपुर 

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4 Comments

Ayshu

16-Nov-2022 09:23 PM

Nice

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Sachin dev

16-Nov-2022 07:56 PM

Nice

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Gunjan Kamal

16-Nov-2022 07:07 PM

शानदार प्रस्तुति 👌

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